नागपुर में विधानसभा चुनाव और बंटी शेळके का विवाद: EVM सुरक्षा और अन्य घटनाएं
यह आरोप लग रहे हैं कि बंटी शेळके को भाजपा नेता प्रवीण दटके द्वारा फंसाया जा रहा है। बंटी ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह उन्हें चुनाव में नुकसान पहुंचाने के लिए राजनीतिक साजिश कर रही है। इसके अलावा, बंटी शेळके ने ईवीएम और नकदी की बरामदगी को भी भाजपा की चाल बताया है, जबकि भाजपा ने इसे खारिज कर दिया है और इसे कांग्रेस की प्रचार रणनीति बताया हैनागपुर में विधानसभा चुनावों के बीच कई विवाद सामने आए हैं। इनमें प्रमुख मुद्दा कांग्रेस उम्मीदवार बंटी शेळके का रहा है, जो नागपुर मध्य निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।
बंटी शेळके की भूमिका और बयान
कांग्रेस उम्मीदवार बंटी शेळके ने चुनाव प्रचार के दौरान एक विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने जनता से अपील की कि अगर बीजेपी द्वारा शराब या पैसे दिए जा रहे हैं तो ले लें, लेकिन वोट कांग्रेस को दें। इस बयान ने राजनीतिक विवाद को और गहरा कर दिया है। बंटी शेळके ने अपने प्रचार में खुद को साधारण पृष्ठभूमि का बताते हुए कहा कि उनके पास आज भी मोटरसाइकिल है और उनका घर कच्चा है, जबकि विरोधी पार्टी धनबल का उपयोग कर रही है
EVM सुरक्षा पर पुलिस की कार्रवाई
नागपुर पुलिस ने चुनाव के दौरान EVM की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया है। EVM को मजबूत सुरक्षा प्रबंधों के साथ संग्रहण कक्षों में रखा गया है। पुलिस आयुक्त ने इन स्थानों का दौरा किया और अधिकारियों को निर्देश दिए। इसके अलावा, वाहन चेकिंग और संदिग्ध व्यक्तियों पर नजर रखने के लिए पूरे शहर में चौकसी बढ़ा दी गई है
चुनाव में सुरक्षा और अन्य विवाद
चुनाव के दौरान नकद और शराब के वितरण की खबरें भी आई हैं, हालांकि इसे लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है। चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए अधिकारियों ने कई जगह छापेमारी भी की है।
नागरिकों का समर्थन और बंटी शेळके का संदेश
बंटी शेळके ने सोशल मीडिया पर एक संदेश के जरिए कहा कि उनकी लड़ाई किसी व्यक्ति से नहीं बल्कि विचारधारा से है। उन्होंने सभी धर्मों और वर्गों के लोगों के लिए समान रूप से काम करने का संकल्प लिया है
नागपुर में कांग्रेस उम्मीदवार बंटी शेळके द्वारा लगाए गए आरोप और भाजपा पर शक जताने की स्थिति काफी जटिल है। बंटी शेळके ने दावा किया है कि भाजपा चुनाव को प्रभावित करने के लिए धनबल और सत्ता का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट और बयानों में भाजपा के खिलाफ 30 लाख रुपये और ईवीएम मशीन मिलने की घटनाओं को उजागर किया है।
बंटी शेळके ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने 30 लाख रुपये का नकद धन चुनाव में प्रभावित करने के लिए रखा है। उन्होंने इसे एक साजिश करार दिया और चुनाव आयोग से निष्पक्ष जांच की मांग की है। इस मुद्दे पर भाजपा ने किसी भी प्रकार के धनबल का उपयोग करने से इनकार किया है और इसे कांग्रेस का प्रचार हथकंडा बताया है
कांग्रेस का दावा
बंटी शेळके और कांग्रेस का कहना है कि यह घटना भाजपा की ओर से लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास है। उन्होंने भाजपा पर भ्रष्टाचार और अवैध धन के जरिए चुनाव जीतने की कोशिश का आरोप लगाया। इसके साथ ही, उन्होंने अपने समर्थकों से आह्वान किया कि वे इन मुद्दों को गंभीरता से लें और कांग्रेस के पक्ष में मतदान करें
भाजपा का पक्ष
भाजपा ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है। उनका कहना है कि कांग्रेस और बंटी शेळके प्रचार के लिए झूठे आरोप लगा रहे हैं। भाजपा ने इसे कांग्रेस द्वारा लोगों का ध्यान भटकाने और सहानुभूति पाने का प्रयास बताया। पार्टी ने चुनाव आयोग से इन दावों की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है
क्या सच है?
30 लाख रुपये और ईवीएम मामला: इन आरोपों की अभी जांच चल रही है। चुनाव आयोग और पुलिस ने इस घटना के संदर्भ में कोई ठोस बयान नहीं दिया है।
प्रचार का तरीका: बंटी शेळके द्वारा भाजपा कार्यालय में जाकर प्रचार करना और विवादित बयान देना भी चर्चा का विषय बना है। यह रणनीति कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकती है, लेकिन इसे लेकर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
भ्रष्टाचार के आरोप: भाजपा पर धनबल के आरोप नई बात नहीं है, लेकिन इनकी पुष्टि के लिए जांच का परिणाम आना जरूरी है
बंटी बाबा शेलके के कार्यालय में पैसे रखने को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट और प्रमाणित जानकारी सामने नहीं आई है। अगर यह आरोप किसी विशेष घटना से जुड़ा हुआ है, तो उस मामले में पुलिस जांच और मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर ही जानकारी दी जा सकती है।
यदि बंटी शेलके पर किसी तरह के भ्रष्टाचार या अवैध कार्यों का आरोप है, तो यह संभावना है कि पुलिस अपनी जांच के दौरान इस प्रकार के घटनाक्रमों का पता लगाएगी। लेकिन, वर्तमान में इसके बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
निष्कर्ष
बंटी शेळके और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का यह दौर चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। जनता और प्रशासन को इन दावों की सच्चाई परखनी होगी। राजनीतिक माहौल को देखते हुए यह स्पष्ट है कि चुनावी प्रचार में आरोप-प्रत्यारोप एक बड़ा मुद्दा बने हुए हैं।