बालाघाट (मध्यप्रदेश) – मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के हट्टा थाना क्षेत्र में एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां तीन आदिवासी नाबालिग लड़कियों और एक युवती के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। इस जघन्य अपराध को दबाने की कोशिश गांव की पंचायत के माध्यम से की गई, जिसमें आरोपियों की ओर से पीड़ित परिवारों को 7 लाख रुपये की रिश्वत देकर समझौता करने का प्रयास किया गया। लेकिन पीड़िताओं और उनके परिजनों ने इस पेशकश को ठुकरा दिया और सख्त आवाज़ में कहा – “इन्हें मत छोड़ो, इन्हें फांसी पर लटकाओ।”
घटना शनिवार देर रात की है। रिपोर्ट के अनुसार, यह दर्दनाक वारदात रात 2 बजे से सुबह 5 बजे के बीच हुई। इस दौरान चारों पीड़िताओं को आरोपियों ने बेरहमी से प्रताड़ित किया। वारदात के बाद आरोपी फरार हो गए और दो दिन तक गांव के पास ही छिपते रहे। लेकिन जैसे ही घटना की जानकारी गांव में फैली, ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। mp balaghat gangrape
पंचायत में पीड़िताओं की चीखें गूंजी
घटना के बाद गांव में एक पंचायत बुलाई गई, जिसमें पीड़िताओं और उनके परिजनों को बुलाया गया। रोते-बिलखते परिजनों ने पंचायत में अपना दर्द साझा किया। एक पीड़िता ने बताया कि घटना की रात उनके साथ जो हुआ, वह शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उनकी चीखें रात भर गूंजती रहीं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। mp balaghat gangrape
पंचायत के सामने पीड़िताओं ने बताया कि आरोपियों ने पहले धमकाया और फिर सामूहिक बलात्कार किया। बाद में जब मामला पुलिस तक न पहुंचे, इसके लिए पंचायत के माध्यम से 7 लाख रुपये देने की पेशकश की गई। लेकिन पीड़ित परिवारों ने इनकार कर दिया और आरोपियों को सजा दिलाने की मांग की।
धमकियों से डगमगाए नहीं पीड़ित
बताया गया है कि आरोपियों ने पीड़िताओं को जान से मारने की धमकी भी दी थी। यह दबाव इसलिए बनाया जा रहा था ताकि वे पुलिस में शिकायत न करें। लेकिन परिजनों की हिम्मत और पंचायत में उठी इंसाफ की आवाज़ ने पूरे मामले को सामने लाने में मदद की।
पीड़िताओं और ग्रामीणों के दबाव के बाद पुलिस ने तेजी से कार्रवाई की। 23 अप्रैल को एफआईआर दर्ज की गई और 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। सभी को न्यायालय में पेश कर 29 अप्रैल तक पुलिस रिमांड पर भेजा गया है।
पंचायत पर भी गिरेगी गाज
बालाघाट एसपी समीर सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए यह स्पष्ट किया है कि केवल आरोपियों पर ही नहीं, बल्कि उन पंचायत सदस्यों पर भी कार्रवाई की जाएगी जिन्होंने अपराध को दबाने और समझौता कराने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि पंचायत के माध्यम से आरोपियों को बचाने का जो प्रयास किया गया है, वह कानून के खिलाफ है और इसके लिए नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
सामाजिक संगठन भी उतरे समर्थन में
घटना सामने आने के बाद कई सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने भी इस मामले में पीड़िताओं को न्याय दिलाने की मांग की है। संगठनों का कहना है कि आदिवासी समुदाय की बच्चियों के साथ हो रहे अत्याचारों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया तेज की जानी चाहिए।
इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि आज भी समाज के कई हिस्सों में महिलाओं की सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। हालांकि, पीड़िताओं की हिम्मत और गांव के लोगों की जागरूकता ने एक बड़ा उदाहरण पेश किया है – कि अन्याय के सामने झुकना नहीं है, बल्कि न्याय की लड़ाई लड़नी है। mp balaghat gangrape